वो पहली किरण और तेरा चेहरा ,
बादलों में भी उभर आई तेरी ही तश्वीर ,
हर सांस तेरे बोलों पर थिरकने लगी ,
तेरे याद में वादियाँ महकने लगी ,
सूरज की लालिमा ने तेरे माथे की बिंदिया की यादें दिलाईं
चहकने लगे पंछी जैसे तेरी चुरियाँ मुझे जगाने आयीं
शाख के पत्ते झूमने लगे , होने लगा तेरे पायलिया का गुमान ,मिटटी की सोंधी खुशबू से बरबस आया तेरे हथेलियों की हिना का ध्यान ,
और तभी एक पुरवैय्या आई और एक सुंदर ख्वाब टूट गया
और सामने ज़िन्दगी रू-ब-रू करने आ गयी थी मुझसे ...