भ्रस्टाचार के आतंक को, आज जड़ से मिटाने की !!
लाल बहादुर बोस तिलक गाँधी ताक पे हैं अब
तुम्हे फिकर है अब भी ,अपने ही आबदाने की !!
खून तुम्हारा नहीं खौलता देख खौफ का मंज़र
इंतज़ार है क्या अब ,खुद का ज़नाज़ा सजाने की !!
कुर्बानी देकर बिस्मिल ने आज़ादी तुमको दिलवाई
रईसी में तुम्हे मगर ,है तलाश महफूज़ ठिकाने की !!
दुश्मन सीमा पर गोले बरसाते ,यहाँ तुम बिक जाते हो
कब सोचेगे ए काफिर तुम ,शहीदों का क़र्ज़ चुकाने की !!
खूब जिया है अपने खातिर ,इस देश की माटी पर
आओ करो उद्घोष सभी ,हिन्दुस्तां को स्वर्ग बनाने की !!
नीलांश जी ,
ReplyDeleteबहुत ही ओजमयी रचना। बहुत सुखद लगी। देशभक्तों की कलम से ऐसी ही रचनाएँ निकलती हैं।
इस देश प्रेम से ओतप्रोत रचना के लिए आपकी जितनी प्रशंशा की जाए कम है...बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteनीरज
BAHUT BEHTAREEN ...AUJ SE BHARPOOR...
ReplyDeleteHINDUSTAAN KO SWARG BANAANE KI KALPNAA SAARTHAK LAGEE....
BADHAAI...
खून तुम्हारा नहीं खौलता देख खौफ का मंज़र
ReplyDeleteइंतज़ार है क्या अब ,खुद का ज़नाज़ा सजाने की !!
कुर्बानी देकर बिस्मिल ने आज़ादी तुमको दिलवाई
रईसी में तुम्हे मगर ,है तलाश महफूज़ ठिकाने की !!
रक्त में उबाल लाने में सक्षम ओज भरी रचना....आभार.
bahut prenaprad Neelansh ji rachna prastut ki hai aapne .aabhar
ReplyDeleteबहुत सुंदर ओजपूर्ण पंक्तियाँ....
ReplyDeleteजोश पैदा करने वाली हाकिमों को ललकारती रचना .
ReplyDeleteआपका ब्लॉग पर आकार मेरे मित्र सवाई सिंह को जन्मदिन पर शुभकामनाएं और बधाई दी उसके लिए आभारी हूं उम्मीद है आप हमेशा ही उत्साहवर्धन करते रहेंगे! ....बहुत -बहुत धन्यवाद् .
ReplyDeleteसुन्दर रचना पढ़वाने के लिए आभार!
ReplyDeleteकृपया अपने ब्लॉग पर से वर्ड वैरिफ़िकेशन हटा देवे इससे टिप्पणी करने में दिक्कत और परेशानी होती है।
bahut aabhaari hoon aap sabon ka
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