Wednesday, April 27, 2011

मशाल जली रहेगी

अन्ना ,मशाल जली रहेगी तुम्हारी
अहिंसा संग  लड़ा वो 
चला था अकेला वो 
थे कुछ चंद ही साथ तब 
पर आवाज़ दिया उसने 
सब आये जो थे दबे दबे 
सत्य बोलने से डरे डरे 
भ्रस्टाचार से त्रस्त 
मैं  बढूँ,या तुम बढ़ो 
इस सिमित मानसिकता से ग्रस्त 

अपने मत के शक्ति को 
वे नहीं जानते थे 
सहनशीलता भारत की पहचान
वो यही जानते थे 

नोटों पर बापू थे 
पर उत्तीर्णता पहचान पत्र 
लेने  में भी ५०-६० देने पड़ जाते थे 
आवाज़ वहां 
वो  क्यों नहीं उठा पाते थे 

यही व्यवस्था है 
बस इसे जानकार
वो सब सह जाते थे 

कोई नहीं समझा था की 
वो एक विवशता थी 
वो गाँधी के देश में 
आज़ादी की विफलता थी 

वो गर उस समय ही 
एक हो जाते 
क्लास बंक करने से 
पहले ये थोडा समझ जाते 
की एकता में शक्ति है 
मिल कर आवाज़ दो 
विद्या के मंदिर में 
न भ्रस्टाचार का साथ दो 

तो इस अन्ना का सपना बहुत पहले 
पूरा हो पाता 
आज का नवयुवक 
जब सत्य की ताक़त को समझ जाता 

पर अब अन्ना ने पुकारा है 
तो देर न हम करेंगे 
मरने से पहले 
अब हम न मरेंगे 

आवाज़ दो ,हम एक है 
अन्ना ,हम आते हैं 
मशाल जली रहेगी तुम्हारी 
हम भी एक दीप जलाते हैं  

एकता में है बल 
...सत्यमेव जयते 

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